अगर आप एकाउंटिंग फील्ड से हो या अकाउंट की बेसिक जानकारी भी हो तो आपने ये दो नाम तो जरुर सुने होंगे sundry debtors और sundry creditors .यदि आपको इनका मतलब नहीं मालूम है और एकाउंटिंग में इनकी क्या भूमिका है ? समझने के लिए इस पोस्ट को जरुर पढ़े. इस पोस्ट में sundry debtors और sundry creditors के बारे में विस्तार से जानकरी दी गयी है.
Sundry debtors meaning in Hindi
sundry debtors और sundry creditors खरीदी और बिक्री के व्यवहारों पर निर्भर है लेखांकन में जो भी व्यवहार होते है, जिनसे भी व्यवहार होते है उन सभी का खाता बनाया जाता है.लेखांकन की भाषा में इन्हें लैजर कहा जाता है .इनमे से कुश खाते sundry creditors और sundry debtors की श्रेणी में भी आते है.
Sundry debtors को यदि एक शब्द में बताया जाये तो वो है “देनदार”. देनदार वो होते है जिनसे कंपनी को पैसे वसूलना है.देनदार एक व्यक्ति ,संस्था या कंपनी हो सकती है.कंपनी जिन ग्राहकों को शर्तो के अनुसार उधारी में माल देती है.वो कंपनी के sundry debtors कहलाते है.
Sundry Creditors meaning in Hindi
Sundry Creditors ,sundry debtors के बिलकुल विरुद्ध होता है . Sundry Creditors को यदि एक शब्द में बताया जाये तो वो है “लेनदार”. लेनदार वो होते है जिन्हें कंपनी से पैसे लेना है.लेनदार एक व्यक्ति ,संस्था या कंपनी हो सकती है.कंपनी जिन विक्रेताओ से उधारी में माल या कोई सेवा खरीदती है.वो कंपनी के sundry creditors कहलाते है.
Difference between sundry debtors and sundry creditors:
sundry debtors and sundry creditors दोनो एक दुसरे के विपरीत है अच्छे से समझने के लिए दोनों के अंतर को जानना आवश्यक है एकाउंटिंग में सबसे अधिक खाते देनदार और लेनदार के ही होते है क्योकि इन्ही के साथ सबसे अधिक व्यवहार होते है ऐसे में new ledger /नया खाता बनाते समय इन दोनों के अंतर को पता होंगा जरुरी है.यदि गलती से भी देनदार का कोई खाता लेनदार के ग्रुप में चला जाये तो इसका इफ़ेक्ट बैलेंस शीट और MIS रिपोर्ट्स पर पड़ता है.
sundry debtors वो होते है जीनसे कंपनी को पैसे लेने है और sundry creditors वो होते है जिन्हें कंपनी को पैसे देना है
sundry debtors कंपनी के current assets होते है sundry creditors वो कम्पनी के liabilities होते है
SD को वस्तुए / सेवाये दी गयी है SC से वस्तुए /सेवाये ली जाती है
SD ko kreya ( क्रेता ) कहा जाता है और SC को Vikreta ( विक्रेता ) कहा जाता है
SD को bills receivable भी कहा जाता है और SC को bills payable भी कहा जाता है
sundry debtors से आर्डर लेते वक़्त sale order बनाया जाता है और sundry creditors को order देते वक़्त purchase order बनाया जाता है
sundry debtors balance sheet में Current Assets में आते है और sundry creditors Balance sheet में Current Liabilites में आते है
टैली में sundry debtors और sundry creditors ledger kaise banate hai ?
Gateway of tally से अकाउंट इन्फो पर क्लिक करे .
अब लैजर पर क्लिक करे .
लैजर बनाने के लिए create पर क्लिक करे .
लैजर क्रिएशन से जुडी जानकारी दर्ज करे
Name : लैजर का नाम
alias : alias में कोई वैकल्पिक नाम दे सकते है. जैसे लैजर का नाम Tally solutions pvt ltd है तो alies में Tally नाम डाल सकते है .
Under : लैजर sundry debtors या creditors है यहाँ ग्रुप लिस्ट में से ग्रुप सेलेक्ट करना है
Maintain bill- by- bill: इसे yes करे. ( इस विकल्प में बारे में विस्तार से जानने के लिए bill wise detail पर लिखी पोस्ट पढ़े .
Default credit period: किसी भी debtors / creditors के साथ कंपनी की शर्तो में क्रेडिट पीरियड भी शामिल होती है. Credit period पीरियड का मतलब एक सिमित अवधि तक उधारी देना.जैसे कंपनी अपने ग्राहक को 30 दिनों तक उधारी देती है तो यहाँ tally में क्रेडिट पीरियड सेट कर सकते है .
Check for credit days during voucher entry : यदि आप वाउचर एंट्री करते समय credit days view करना चाहते हो इस आप्शन को yes करे .अन्यथा इसे No. ही रहने दे
Mailing Name : पहले आप्शन Name में जो लैजर नाम डाला था वो ही मैलिंग नेम में आता है.Mailing name print / export किये इनवॉइस पर आता है .
Address : यहाँ debtors /creditors का पत्ता डाले .
Country : देश का नाम सेलेक्ट करे
state : राज्य का नाम सेलेक्ट करे
Tax Regstration detail : टैक्स रजिस्ट्रेशन डिटेल में लैजर के टैक्स रजिस्ट्रेशन का डिटेल भरा जाता है.जैसे जीएसटी , पेन/आईटी नंबर इत्यादि.
Pan / IT No. : फिलहार इसकी जरुरत नहीं पड़ेंगी. आवश्यक होने पर इसे भरा जा सकता है .
Registration Type : यहाँ जिसके नाम का लैजर बनाया जा रहा है उसका रजिस्ट्रेशन टाइप डाले .( how to enter gst no in ledger in tally )
GSTIN/UIN : यहाँ पर उसका जीएसटी नंबर डाले. sundry debtors creditors के लैजर में जीएसटी नंबर डालना अनिवार्य है.
Set / alter GST detail ? यदि जीएसटी डिटेल में बदलाव करने की आवश्यकता हो तो इस विकल्प को यस करके gst detail में alter किया जा सकता है .यहाँ एक बाद जानना और आवश्यक है यदि लैजर किसी ट्रांसपोर्टर का बनाया जा रहा हो तो इस आप्शन को YES करे और लास्ट आप्शन Is a transporter को yes करे .यस करने के बाद एक और आप्शन आयेंगा transporter ID इसमें transporter की id डालना है .ये ewaybill बनाने के लिए आवश्यक है
ओपनिंग बैलेंस : जिस लेनदार या देनदार का खाता बना रहे है यदि उसका कोई पुराना बैलेंस हो तो इसे ओपनिंग बैलेंस में डाले.मान लीजिये आप मैन्युअल एकाउंटिंग को अब नए finanacial year से computerised एकाउंटिंग में बदलना चाहते है ऐसे में पिछले साल के सभी खातो के क्लोजिंग बैलेंस को ओपनिंग बैलेंस में डाला जायेंगा.
सारांश
इस पोस्ट में हमने सीखा लेनदार और देनदार क्या है , sundry debtors और sundry creditors meaning in hindi , दोनों के difference के बारे में भी जाना .tally दें देनदार और लेनदार के लैजर कैसे बनाये इस बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गयी. इस पोस्ट में सम्बंधित यदि सवाल या किसी के सुझाव हो तो हमे कमेंट करके जरुर बताते .